न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण के बिना निकाय चुनाव कराने का दिया आदेश…

 

 लखनऊ: इलाहाबाद उच्­च न्­यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को राज्य सरकार के नगरीय निकाय चुनाव संबंधी मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के कराने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की पीठ ने यह आदेश दिया। इस फैसले से राज्य में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्­ता साफ हो गया है। पीठ ने उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा पांच दिसंबर को तैयार मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए निकाय चुनावों को बिना ओबीसी आरक्षण के कराने के आदेश दिए हैं। उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार ‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले’ के बिना सरकार द्वारा तैयार किए गए ओबीसी आरक्षण के मसौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर उच्च न्यायालय का यह फैसला आया। पीठ ने एक पखवाड़े से रुके नगरीय निकाय चुनाव के मुद्दे पर शनिवार को सुनवाई पूरी कर ली थी और कहा था कि वह 27 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी। अदालत ने मुकदमे की प्रकृति के कारण शीतकालीन अवकाश के बावजूद मामले में सुनवाई की। राज्य सरकार ने इस महीने की शुरुआत में त्रिस्तरीय नगरीय निकाय चुनाव में 17 नगर निगमों के महापौर, 200 नगर पालिका परिषदों के अध्यक्षों और 545 नगर पंचायतों के लिए आरक्षित सीटों की अनंतिम सूची जारी करते हुए सात दिनों के भीतर सुझाव/आपत्तियां मांगी थी और कहा था कि सुझाव/आपत्तियां मिलने के दो दिन बाद अंतिम सूची जारी की जाएगी।