भोपाल। जिनालयों में पत्थरों पर जीव दया के संदेश उकेरने। काम करने के दौरान संतों का सानिध्य मिलने। प्रवचनों में सत्य, प्रेम और करुणा का भाव अपनाने के आव्हान से उनके मन में भी शाकाहार अपनाने की भावना जागी। अब उन्होंने मांसाहार का पूरी तरह त्याग कर दिया है। वह धर्म से मुसलमान हैं, लेकिन पेशे से शिल्पकार। उनका काम मंदिरों में देव मूर्तियों की वेदी बनाने, पत्थरों को तराशकर देवी-देवताओं की मूर्ति बनाने का है।
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