हलचल बढ़ी तो कोपरा जलाशय में प्रवासी पक्षी हुए कम

 बिलासपुर। हजारों किमी का सफर तय कर सात समंदर पार से आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए बिलासपुर और इससे लगे जिले अनुकूल नहीं रह गए हैं। कुछ साल पहले तक यहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी दिखते थे, जो अब गिने-चुने जोड़े ही नजर आ रहे हैं। जो आ रहे हैं, वे भी सुरक्षित नहीं हैं। शहर के करीब कोपरा जलाशय सहित जिले के अन्य बांधों में प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में दिखते थे। सुरक्षा को लेकर बरती जा रही लापरवाही प्रवासी पक्षियों के लिए भारी पड़ रही है। यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षो से कोपरा डेम में जलीय पक्षी कम आ रहे है। कोपरा जलाशय में कभी कुछ साल पहले दिनों प्रवासी पक्षियों का मेला लगा रहता था लेकिन इस बरस तो भटक कर कुछ प्रवासी या स्थानीय पक्षी यहां दिख जाता है। यह डेम बिलासपुर शहर से 10 किमी पर है। पक्षियों की यहां कमी का कारण, इस डेम के करीब मजबूत हाई-वे सड़क निर्माण, इसमें नाव से मछली मारना, पानी का अधिक होना या फिर प्रवासी पक्षियों के देश में अथवा फिर किसी और वजह इस एरिया में उनका कम आना हो रहा है। जहां प्रवासी पक्षी आते हैं, वहां वन विभाग द्बारा निगरानी नहीं होती है। ज्यादातर तालाब मछली पालने ठेके पर दिए हैं। वहीं जलाशय के आसपास पिकनिक के लिए भीड़ और शोर-गुल होने से प्रवासी पक्षी उन स्थानों को छोड़ रहे हैं। मछली पकड़ने के लिए बिछाए गए जाल में प्रवासी पक्षी कई बार फंस चुके हैं। इसके अलावा इलाके में प्रवासी पक्षियों का शिकार भी होने लगा है। हिमालय के उस पार के देशों में बर्फबारी के कारण जब पक्षियों को रहने की जगह और खाने कुछ नहीं मिलता, तो वे भारत के ठंडे क्षेत्रों में आ जाते हैं। बिलासपुर में सालों पहले से प्रवासी पक्षी आते रहे हैं। कुछ दिन रहने के बाद ये पक्षी आंध्रा, कर्नाटक सहित गुजरात और मुंबई के समुद्र के क्षेत्र में निकल जाते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षो से इनकी संख्या में तेजी से कमी आई है। प्रवासी पक्षियों पर काम कर रहे लोगों ने बताया कि बिलासपुर के कोपरा जलाशय में बरासों से प्रवाशी पक्षियों के आने का दौर चल रहा है। ऐसे में सरकार यहां एक पक्षी विहार विकसित कर सकती है, जिस तरह गिधवा में पक्षी विहार बनाया गया है। कोपरा में मंगोलिया, रसिया और साइबेरिया से पक्षी आते हैं। लोगों को इसके लिए जागरूक करने की जरूरत है। प्रवासी पक्षी नॉर्थन पिनटेल, रेड क्रेस्टेड पोचर्ड, नॉर्थन शॉलेवर, गढ़वाल, गारगने आदि बतख प्रजाति के पक्षी यहां आते हैं।