रायपुर। डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में किट की किल्लत से कैंसर, टीबी, डेंगू, टायफाइड सहित अन्य बीमारियों की जांच नहीं हो पा रही है। प्रदेश के इस सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में विटामिन-डी, बी-12, हार्मोनल से जुड़ी जांच पहले ही बंद है। गंभीर बीमारियों की जांच के लिए जरूरी किट नहीं होने से एंटीबायोटिक सेंसिविटी, ब्लड कल्चर, ट्यूमर मार्कर जैसी महंगी जांच अब नहीं हो रही है। मामले में मेडिकल कालेज प्रबंधन ने किट के लिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कारपोरेशन (सीजीएमएससी) को मांग-पत्र भेजा है, लेकिन अब तक आपूर्ति नहीं हो पाई है। कई बीमारियों की जांच बीते छह महीने से बंद हैं, वहीं किट की किल्लत होने की वजह से जांचें लगातार पटरी पर नहीं लौट रही है। स्थिति यह हो गई है कि जांच प्रभावित होने के चलते गंभीर रोग से पीड़ित बच्चे, महिलाओं समेत कैंसर, टीबी, लिवर, हृदय, टायफाइड, डेंगू, बैक्टीरिया इंफेक्शन आदि बीमारियों से जुड़े रोगियों का इलाज प्रभावित हो पा रहा है। चिकित्सकों ने बताया कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के कीटाणु का पता लगाने के लिए खून, पेशाब की कल्चर जांच की जाती है। इसके बाद एंटिबायोटिक की उपयोगिता की पुष्टि के लिए एंटीबायोटिक सेंसिविटी टेस्ट होता है, जो रोगियों के इलाज को तय करता है। यह जांच टीबी, टायफाइड, एचआइवी रोगियों, रोगी बच्चों, आइसीयू में भर्ती मरीजों समेत अन्य के लिए बेहद जरूरी है। कैंसर, बैक्टिरियल इंफेक्शन आदि बीमारियों में ब्लड कल्चर महत्वपूर्ण जांच है, जो नहीं हो पा रही है। ब्लड कल्चर, एंटीबायोटिक सेंसिविटी, टेस्ट की कीमत निजी लैब में 500 रुपये से अधिक है, शासकीय योजना के तहत यह निश्शुल्क है। अस्पताल में कैंसर रोगियों के लिए ट्यूमर मार्कर जांच बेहद महत्वपूर्ण है। इसकी निजी लैब में कीमत 3,000 रुपये से अधिक है। वहीं हार्मोंस से जुड़ी जांच की कीमत 2,000 रुपये से अधिक चुकानी पड़ती है। अस्पताल में यह जांच गरीब मरीजों के लिए निश्शुल्क की जाती है। जांच बंद होने से अधिकतर मरीज बिना इलाज के लौट रहे हैं तो कुछ निजी लैब में जांच करा रहे हैं। डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल अधीक्षक डा. एसबीएस नेताम ने कहा, अस्पताल में कई जांच बंद हैं। हमें जांच किट नहीं मिल पा रही है। कारण क्या है, यह डीन ही बेहतर बता पाएंगी। पं. जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कालेज की डीन डा. तृप्ति नागरिया ने कहा, सीजीएमएससी को जांच किट की आपूर्ति के लिए दो से तीन बार पत्र लिख गया है। अभी सामग्री नहीं उपलब्ध कराई गई है।
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